Friday 26 December 2014

heart touching shayari in hindi.....

मेरे ऐब मुझे उंगलिओं पे गिनाओ यारो,
बस मेरी गैर- मौजूदगी मैं मुझे बुरा मत कहना....

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"मेरे अश्क और तेरी यादों का कोई तो रिश्ता जरूर है..
कमबख्त जब भी आते है दोनों साथ ही आते है"..
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नहीं मिलेगा तुझे मुझ जैसा चाहने वाला...
जा तुझे इज़ाज़त है पूरी दुनिया आजमाले... !!
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मनाने रूठने के खेल में हम ..
बिछड़ जायेंगे ये सोचा नहीं था .
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लोग मुझे पत्थर मारने आये तो वो भी साथ थे....
जिनके गुनाह कभी हम अपने सर लिया करते थे
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तेरे होने पर खुद को तनहा समझू !
मैं बेवफा हूँ या तुझको बेवफा समझू !!
ज़ख्म भी देते हो मलहम भी लगाते हो !
ये तेरी आदत हैं या इसे तेरी अदा समझू !!

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पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही,
अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.

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कितनी अजीब जुदाई थी के तुझे
अलविदा भी न कह सका...
तेरी सादगी में इतना फरेब था के तुझे
बेवफा भी न कह सका..!!
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मंजिले बहुत है, अफसाने बहुत है,
इम्तेहां ज़िन्दगी में आने बहुत है,
जो मिला नहीं उसका क्या गिला करना,
दुनिया में खुश रहने के बहाने बहुत हैं
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बेवफाई का दुख नहीं है मुझे
बस कुछ लोग ऐसे थे जिनसे उम्मीदें बहुत थी.
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बहुत पहले से "उन कदमों" की आहट जान लेते हैं..
तुझे ऐ जिंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं..

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ये दिल कम्बखत जिद पर अडा है....
की तू नहीं तो तेरा जैसा भी कोई नहीं....
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बेवफाई का दुख नहीं है मुझे
बस कुछ लोग ऐसे थे जिनसे उम्मीदें बहुत थी.
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उन्होने धक्का दिया हमें डुबोने के लिए
अंजाम ये हुआ कि हम तैराक बन गये।
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"गर तू जिंदा है तो ज़िन्दगी का सबूत दिया कर !
वरना, ये ख़ामोशी तो कब्रिस्तान में भी बिखरी देखी है हमने !!"
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गैरों से मुहब्बत होने लगी है आजकल मुझे,
जैसे जैसे अपनों को आजमाता जा रहा हूँ...

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एक वक्त है ये.. एक उम्र की जुदाई का.. उसे अहसास नहीं है.. ।
और एक वक्त था.. इस ख़याल से भी.. रो देती थी वो.. ।।
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एक अजीब सी जंग छिड़ी है इस रात के आलम में,
आँखें कहती है सोने दे और दिल कहता है रोने दे...
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"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'......

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मैं मर भी जाऊ , तो उसे ख़बर भी ना होने देना ....
मशरूफ़ सा शख्स है , कही उसका वक़्त बर्बाद ना हो जाये ...!
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बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे
इक शहर अब इनका भी होना चाहिए...
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है कोई वकील इस जहान में.....
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको.....?
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Dil bhi ik zid pay ada hai kisi bacche ki tarah,
Ya to sab kuch hi isay chahiye ya kuch bhi nahin..

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कभी ना भूले आप के होठ मुस्कराना,
कभी ना ख़त्म हो आपकी खुशियो का खजाना |
आपको जहान की हर ख़ुशी मिले ,
चाहे खुदा को ही जमीन पर पड़े आना |
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बिखरती रेत पर किस नक़्शे को आबाद रखेगी?
वो मुझको याद रखे भी तो कितना याद रखेगी?
उसे बुनियाद रखनी है अभी दिल में मुहब्बत की
मगर ये नींव वो मेरे बाद रखेगी!
पलट कर भी नहीं देखी उसी की ये बेरुखी हमने!
भुला देंगे उसे ऐसा कि वो भी हमें याद रखेगी !!!
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जिये हुए लम्हों को ज़िन्दगी कहते हैं,
जो दिल को सकून दे उसे खुशी कहते हैं,
और जिसके होने से ख़ुशी और ज़िन्दगी दोनों मिले,
ऐसे ही रिश्ते को हम दोस्ती कहते हैं.

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इश्क की राह में साथ चले थे दोनों
हम तो बरबाद हो गए तुम कहा तक पहुँचे
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वो मुझे मेहंदी लगे हाथ दिखा कर रोई .
में किसी और की हूँ बस इतना बता कर रोई .

उमर भर की जुदाई का ख्याल आया था शायद !!
वो मुझे पास अपने देर तक बिठा कर रोई ..

अब के न सही ज़रूर हषर मैं मिलेंगे !!
यकजा होने के दिलास दिला कर रोई .

कभी कहती थी के मैं नहीं जी पाऊँगी तुम्हारे बिन !!
और आज फिर वो ये बात दोहरा कर रोई !!

मुझ पे इक कुराब का तूफ़ान हो गया है !!
जब मेरे सामने मेरे ख़त जला कर रोई !!.

मेरी नफरत और अदावत पिघल गई इक पल में !!
वो बे-वफ़ा है तो क्यूँ मुझे रुला कर रोई !!

मुझ से जायदा बिछड़ने का गम उसे था !!
वक़्त -ए-रुखसत वो मुझे सिने से लगा कर रोई !!

मैं बेकसूर हु , कुदरत का फैसला है ये !!
लिपट के मुझ से बस वो इतना बता कर रोई !!

सब शिकवे मेरे इक पल में बदल गए !!
झील सी आँखों में जब आंसू सजा कर रोई .

केसे उस की मोहब्बत पैर शक करें हम !!
भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा कर रोई!!

आख़री आस भी जब टूटती देखी ऊसने,
अपनी डोलीके चिलमनको गिरा कर रोई।

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हम आह भी भरते है तो हो जाते है बदनाम,
वो क़त्ल भी करते है तो चर्चा नहीं होता.

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सुना है कोई और भी चाहने लगा है "तुम्हे"
"हमसे" ज्यादा चाहे तो उसी के हो जाना...
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हमारे ज़ख्मों की वजह भी वो हैं,
हमारे ज़खमों की दवा भी वो हैं,
वो नमक ज़खम पे लगाऐं भी तो क्या हुआ..
महोब्बत करने की वजह भी तो वो हैं...
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अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना,
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना,
चाहने वालो की तकदीर बदल सकती है,
तुम बेबस हो ये बताने के लिए मत आना..

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किसी को अपना बनाने का हुनर है तुममें,
काश किसी का बनकर रहने का हुनर भी होता...

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भूलें है रफ्ता रफ्ता उन्हे मुद्दतों में हम
किश्तों में खुदखुशी का मजा कोई हमसे पूछे।।।।।
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मैनें दिल को भी सिखा दिया ,,,औकात में रहने का हुनर
वरना जिद्द करता था उसकी,,जो नसीब में नही है!!!
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मोहब्बत की आजमाइश दे-दे कर अब हम थक गए ए-खुदा;
मुकद्दर में कोई ऐसा भी लिख दे जो मौत तक वफ़ा करे!

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टूट कर भी धड़कता रहता है
मैंने कमबख्त दिल सा
वफादार आज तक नही देखा...
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बहुत याद करता है वो मुझे,
दिल से ये वहम जाता क्यों नहीं...
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जीना है तो चलते हुये
दोनों पैरों की तरह जियो, आगे
वाले पैर को घमंड नहीं होता, और
पिछले पैर को शर्म
नहीं होती क्योंकि वो जानते हैं
कि उनकी स्थिति बदलेगी ।

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मै अपनी ज़िन्दगी में हर किसी को इतनी अहमियत इसलिए देता हूँ
क्योंकि
जो अच्छे होंगे वो साथ देंगे और जो बुरे होंगे वो सबक
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"मेरी शायरी को इतनी शिद्दत से ना पढ़िए..
गलती से कुछ याद हो गया तो मुझे भुला ना पाओगे"..
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एक दिन किसी ने पूछा—
कोई अपना तुम्हे छोड़ के चला जाये तो यूं क्या करोगे?
हमने कहा:
अपने कभी छोड़ के नहीं जाते और जो चले जाये वो अपने नहीं होते…..

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वो शाहिल से देखता रहा डूबना मेरा..
हम भी डूबते रहें पर पुकारा नही उसे..

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प्रेम की लड़ाई में जिसमे प्रेम अधिक होता है वह हार जाता है..

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अपनों को हमेशा अपना होने का अहसास दिलाओ
वरना
वक़्त आपके अपनों को आपके बिना जिना सिखा देगा

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जरुरी तो नहीं जो ख़ुशी दे उसी से प्यार हो,
सच्ची मोहब्बत तो अक्सर दिल तोड़ने वालो से ही होती है..
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"कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको,
तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये,
दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको"
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नफरत है तो कह देते हमसे,
गैरों से मिल कर दिल क्यों जलाते हो.
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मैं इससे बढकर सब्र की मिसाल और क्या दूं,,,
कि वो मुझसे लिपट के रोया किसी और के लिए...
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एक ही शख्स था मेरे मतलब का,
और वही शख्स मतलबी निकला...

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Matlabi hai log yaha par
Matlabi zamana
Socha saya saath dega
Nikla wo begaana

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कभी ना भूले आप के होठ मुस्कराना,
कभी ना ख़त्म हो आपकी खुशियो का खजाना |
आपको जहान की हर ख़ुशी मिले ,
चाहे खुदा को ही जमीन पर पड़े आना |
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बिखरती रेत पर किस नक़्शे को आबाद रखेगी?
वो मुझको याद रखे भी तो कितना याद रखेगी?
उसे बुनियाद रखनी है अभी दिल में मुहब्बत की
मगर ये नींव वो मेरे बाद रखेगी!
पलट कर भी नहीं देखी उसी की ये बेरुखी हमने!
भुला देंगे उसे ऐसा कि वो भी हमें याद रखेगी !!
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Meraa Dil Bhii Kitanaa Paagal Hai
Ye Pyaar Jo Tum Se Karataa Hai
Par Saamane Jab Tum Aate Ho,Kuchh Bhii Kahane Se Darataa Hai...
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अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम होने दो।
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना,
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम तो होने दो।।
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“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”
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"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..
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मैं इंसान खराब नहीं हूँ।
हाँ, हरकतें हो सकती है।
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कमाल का शख्स था, जिसने ज़िंदगी तबाह कर दी;
राज़ की बात है दिल उससे खफा अब भी नहीं...

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दिन तो कट जाता है शहर की रौनक में,
कुछ लोग याद बहुत आते है दिन ढल जाने के बाद

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हुआ जो कुछ उसे भुलाना चाहिए था
के उसे अब लौट आना चाहिए था

यह सारा बोझ मेरे सर पे क्यों है
उसे भी थोड़ा गम उठाना चाहिए था

इतनी खामोशी से ताल्लुक तोड़ दिया
उसे पहले बताना चाहिए था

उसकी यादों की खुश्बू है आज भी मेरे दिल मैं
मुझे जिसको भुलाना चाहिए था

ज़रा सी ग़लती पे रूठ बैठे
क्या उससे बस बहाना चाहिए था ??

मुझे पा कर उससे क्या चैन मिलता
जिसे सारा ज़माना चाहिए था
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"वो अल्फ़ाज़ ही क्या,जो समझाने पड़े
हमने मोहब्बत की है, कोई वकालत नही"..
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बिखरे अरमानो के मोती हम पिरो ना सके,
तेरी याद में सारी रात हम सो ना सके,
भीग ना जाए आंसुओं में तस्वीर तेरी,
बस यही सोच कर हम रात भर रो ना सके/
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अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं ,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं.....
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,

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तेरी याद भी है बचपन के खिलौनों की तरह
जब तनहा होते हैं लेकर खेलने बैठ जाते हैं

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शुक्र है खुदा का कि उसने ये पेज नही देखा..
वर्ना उसे मुझ से नही खुद से मोहब्बत हो जाती..
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"करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो ,
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए"..
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"न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला,
वो लम्हे , जो छुपiकर रखे थे जीने के लिए"..
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ये फिक्र ,ये इंतज़ार ,ये अंदाज़ -ए -गुफ्तगू ,
संभल जाओ अब तुम,
तुम्हें मोहब्बत हो रही है....
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"खूब करता है, वो मेरे ज़ख्म का इलाज,
कुरेद कर देख लेता है, और कहता है वक्त लगेगा"..
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मोहब्बत और मौत दोनों की पसंद
अजीब है...
एक को दिल चाहिए और दुसरे को धड़कन...!!!

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किसी को महोब्बत की सच्चाई मार डालेगी,
किसी को महोब्बत की गहराई मार डालेगी,
कर के महोब्बत कोई नहीं बचेगा,
जो बच गया उसे तनहाई मार डालेगी.
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चुपके से ले कर नाम तेरा गुज़ार देंगे ये ज़िंदगी ,
बता देंगे ज़माने को प्यार ऐसे भी होता है.
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जिंदगी तु बहुत खुबसुरत
है मगर..
उसके बगैर तु मजेदार नही लगती.
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चंद लम्हे मेरी जिंदगी में ऐसे भी आये,
दोस्तों ने दुश्मनी जी भर के निभाई..
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ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोचने में ही गुज़ार दी....
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कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस दिन खिलोगे... टूट कर बिखर जाओगे
जीना है तो पत्थर की तरह जियो;
जिस दिन तराशे गए... "खुदा" बन जाओगे
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उदासियों की वजह तो बहुत है जिन्दगी में.........
पर बेवजह खुश रहने का.. मज़ा ही कुछ और है....
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"दर्द देने का अंदाज कुछ ऐसा है,
दर्द दे कर कहते है अब हाल कैसा है,
ज़हर दे कर कहते है अब पीना होगा,
जब पी लिए तो कहते है अब जीना होगा"
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मैं चुप रहा और गलतफहमियां बढती गयी,
उसने वो भी सुना जो मैंने कभी कहा ही नहीं...
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जुदा हो के भी दोनों जी रहें हैं मुद्दत से,
कभी दोनों ही कहते थे के ऐसा हो नहीं सकता...!!
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बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने,
अपनी आंखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर.
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आखिर ज़िन्दगी ने भी आज पूछ लिया मुझसे
कहाँ है वो शख्स जो तुझे मुझसे भी अज़ीज़ था |
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पत्थर की दुनिया जज्बात नही समझती
दिल मे क्या हे वो बात नही समझती
तन्हा तो चांद भी सितारों के बीच हे
पर चांद का दर्द वो रात नही समझती
++++++++++++
आज अचानक फिर से वो डायरी में यूँ टकरा गये
हो पहली-पहली बार सब कुछ ऐसा किस्सा सुना गये
कोशिश तो की मैंने मगर पन्ना नहीं पलटा गया
ली वक्त ने करवट मगर हमसे नहीं पलटा गया
धुँधले हुये शब्दों ने फिर एक साफ मूरत जोड़ ली
सूखे हुये गुलाब ने एक पल में खुशबू मोड़ ली
लिखे हुये वादे सभी एक पल में जैसे खिल गये
छूटे हुये अरमान सब ख्वाबों से आके मिल गये
सब छोड़ के तुम पास थे
बाहों के अब विश्वास थे
आँखों ने फिर से सींच के तुमसे कही बातें वही
तुमने भी शरमा के फिर धीरे से है हामी भरी
अब वक्त जैसे है नहीं और बस तुम्हारा साथ है
अब स्वर्ग को जाना नहीं जो हाथ तेरा साथ है
फिर हाथ तेरा थामकर
खिड़की से बाहर झाँककर
हमने नयी दुनिया गढ़ी
जिसमें न कोई अंत था
पल-पल में जब वसन्त था
इतने में एक झोंका आया
मुझे एक पल को भरमाया
मैंने रोका पर रुका नहीं
पन्ना भी तो अब टिका नहीं
पन्ना पलटा और आँख खुली
पन्ना पलटा और आँख खुली
और दूरी का अहसास हुआ
दूरी का अह्सास हुआ……

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मैं किसी को क्या इल्ज़ाम दूं अपनी मौत का दोस्तो,
यहॉ तो सताने वाले भी अपने थे और दफ़नाने वाले भी अपने...

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आज कोई नया ज़ख़्म नही दिया उसने मुझे,
कोई पता करो वो ठीक तो है ना...
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कोई ताबीज ऐसा दो कि मैं चालाक हो जाऊं बहुत नुकसान देती है मुझे ये सादगी मेरी ।
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दिल तो कहता है कि छोड़ जाऊं ये दुनियां हमेशा के लिए; फिर ख्याल आता है कि वो नफरत किस से करेंगे मेरे चले जाने के बाद ?
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आग लगी थी मेरे घर को, उसने पुछा ! क्या बचा है ?
मैंने कहा मैं बच गया हुँ !
उसने हँसकर कहा 'फिर जला ही क्या है'

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वो रोई तो जरूर होगी, खाली कागज़ देखकर, . ज़िन्दगी कैसी बीत रही है, पूछा था उसने ख़त में..

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उसने पूछा की क्या, ......"पसंद है तुम्हे".... ?? और मैं बहुत देर तक,..... "उसे देखता रहा"....!

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"कभी जो थक जाओ तुम दुनिया की महफिलों से, हमे आवाज दे देना हम अक्सर अकेले होते हैं !!"

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" हर शख्स मुझे ज़िन्दगी जीने का तरीका बताता है, उन्हें कैसे समझाऊ कि एक 'ख्वाब' अधूरा है मेरा.. वरना जीना तो मुझे भी आता है !

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मुमकिन है तेरे बाद भी.. आती होगी बहारेँ.. गुलशन मेँ हमने फिर कभी.. जाकर नहीँ देखा..

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टूटा टूटा एक परिंदा ऐसे टूटा, के फिर जुड़ ना पाया, लूटा लूटा किसने उसको ऐसे लूटा, के फिर उड़ ना पाया.. गिरता हुआ वोह अस्मा से आकर गिरा ज़मीन पर ख्वाबो मे फिर भी बदल ही थे वोह कहता रहा मगर के अल्लाह के बन्दे हसदे अल्लाह के बन्दे, अल्लाह के बन्दे हसदे जो भी हो कल फिर आएगा..

खो के आपने पर ही तो उसने था उड़ ना सिखा
खो के आपने पर ही तो
खो के आपने पर ही तो उसने था उड़ ना सिखा
ग़म को आपने साथ मे लेले दर्द भी तेरे काम आएगा
अल्लाह के बन्दे हसदे अल्लाह के बन्दे,
अल्लाह के बन्दे हसदे जो भी हो कल फिर आएगा..

टुकड़े तुके हो गया था हर सपना जब वोह टूटा
टुकड़े तुके हो गया था आ आया आ
टुकड़े तुके हो गया था हर सपना जब वोह टूटा
भिकरे टुकड़ो मे अल्लाह की मर्ज़ी का मंज़र पायेगा
अल्लाह के बन्दे हसदे अल्लाह के बन्दे,
अल्लाह के बन्दे हसदे जो भी हो कल फिर आएगा..
टूटा टूटा एक परिंदा ऐसे टूटा
के फिर जुड़ ना पाया
लूटा लूटा किसने उसको ऐसे लूटा
के फिर उड़ ना पाया
गिरता हुआ वोह अस्मा से
आकर गिरा ज़मीन पर
ख्वाबो मे फिर भी बदल ही थे
वोह कहता रहा मगर
अल्लाह के बन्दे हसदे अल्लाह के बन्दे,
अल्लाह के बन्दे हसदे जो भी हो कल फिर आएगा....


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मै आंधियो से क्यों डरूं, जब मेरे अन्दर ही तूफ़ान है,
मै मंदिर, मस्जिद क्यों भटकूँ जब मेरे अन्दर ही भगवन है

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ज़िन्दगी चाहत का सिलसिला है, कोई मिल जाता है तो कोई बिछड जाता है,  जिसे मांगते है हम अपनी दुआ में,  वो किसी और को बिना मांगे ही मिल जाता है

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नीलाम कुछ इस तरह से हुई मेरी मोहब्बत बाज़ार में ___! बोली लगाई उसने, जिसने कभी झोली फैला कर माँगी थी ___!!
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मरहम न सही एक जख्म ही दे दो महसूस तो हो की हमे तुम भूले नहीं हो..

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कौन कौन आता है चौखट पर तेरी .... एक बार अपनी मौत की अफवाह उड़ा के तो देख ....

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बहुत मजबूत हूँ लेकिन,फिर भी टूट जाती हूँ, तुम्हारा तल्ख़ लहज़ा बहुत तकलीफ देता है.....

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हम भी मौजूद थे तकदीर के दरवाजे पर, लोग दौलत पे गिरे, हमने तुझे मांग लिया...
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जाते जाते उसने पलट कर मुझसे कुछ यु कहा, . . की तुम प्यार का खजाना हो , . . की तुम भुला देना हमें, . . हम तो आये थे तुमसे प्यार सीखने किसी और के लिए...

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किस के दिल पर क्या गुजरी, कोई अंजान क्या जाने प्यार किसे कहते हैं ये नादान क्या जाने उड़ा के साथ ले गया घर परिंदों के कैसे बने थे घोंसले ये तूफ़ान क्या जाने

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हम बने ही थे तबाह होने के लिए.. तेरा मिलना तो एक बहाना था ..

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कौन खरीदेगां अब हीरों के दाम में तुम्हारें आंसूं..
वो जो दर्द का सौदागर
था मोहब्बत छोड़ दी उसने..

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लाजिमी है उसका खुद पे गुरूर करना हम जिसे चाहे वो मामूली हो भी नही सकता

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"तेरी तलाश में निकलू भी तो क्या फायदा... तुम बदल गए हो... खो गए होते तो और बात थी...!!!!

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इश्क अभी पेश ही हुआ था इंसाफ के कटघरे में.... सभी बोल उठे यही कातिल है...यही कातिल है॥

+++++++=
"दर्द देने का अंदाज कुछ ऐसा है, दर्द दे कर कहते है अब हाल कैसा है, ज़हर दे कर कहते है अब पीना होगा, जब पी लिए तो कहते है अब जीना होगा"

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ये मत सोचना की तुमने छोड़ दिया तो टूट गये हम,
वो भी जी रहे हैं जिनको मेरी खातिर छोड़ा था तुमने..

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खुशियां कम और अरमान बहुत हैं,
जिसे भी देखिए यहां हैरान बहुत हैं,,

करीब से देखा तो है रेत का घर,
दूर से मगर उनकी शान बहुत हैं,,

कहते हैं सच का कोई सानी नहीं,
आज तो झूठ की आन-बान बहुत हैं,,

मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,
यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं,,

तुम शौक से चलो राहें-वफा लेकिन,
जरा संभल के चलना तूफान बहुत हैं,,

वक्त पे न पहचाने कोई ये अलग बात,
वैसे तो शहर में अपनी पहचान बहुत हैं।।

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जो चीज़ मेरी है उसे कोई और न देखे,
में भी मोह्हबत में, बच्चों कि तरह सोचता हु....

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उसने वादा किया है मुझसे पाँचवे दिन का..............
किसी से सुन लिया होगा ये ज़िन्दगी चार दिन की है !

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हंसते हुए चेहरे ने भरम रखा हमारा,
वो देखने आया था किस हाल में हम हैं

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क्या खूब तरक्की की है आज भी ये दुनिया,
मरीज-ए-इश्क तो आज भी लाईलाज बैठे है।

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एक आरज़ू है पूरी परवरदिगार करे
मैं देर से जाऊं, वो मेरा इंतज़ार करे

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जिंदगी के सफ़र को लफ्जों में पिरोया है…
अपनी हर ग़ज़ल को दर्द में भिगोया है…
गुजारिश है आज वाह-वाह न कहना…
क्यूंकि दिल आज फिर किसी की याद में रोया है…

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उसकी ना थी खता, हम ही कुछ गलत समझ बैठे,
वो प्यार से बात करते थे, हम प्यार ही समझ बैठे.

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मेरे जखमों पर मरहम ना लगाओ, हमें मजा आता है.
हर चीख के साथ तेरा चेहरा जो नजर आता है..!

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कोई ताबीज ऐसा दो कि मैं चालाक हो जाऊं
बहुत नुकसान देती है मुझे ये सादगी मेरी ।

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Muddat hui tera chehra dekhey....
mujhe ek baar yaad karne ki koshish toh kar...
dil ki is tarap ko du main meeta...
mujhe phir se apna banane ki koshish toh kar...

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jaldi hi wo laut aayegi, yahi soch kr zinda hu..

mujhe ginti nhi thi pasand, fir bhi ab din ginta hu..!!

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Kya Yehi Hai Kamal Ishq o Mohabbat Karne
Ka?

Umar Jeene Ki Hai Aur Shok Marne Ka...!!

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KaSaM kI KasaM HaI KasAm se,
HuMko PyAAR HaI SiRf TuMse
Ab Ye pYaR Na HoGa Fir HumSe..

++++++++++

Muskil nhi duniya me kuch bhi,phir bhi log apna
vada tod dete hai,agar dil se ho rista or sachi ho
dua,to sitare bhi kisi ke liye khud ko tod dete
hai...

+++++++++++++

Teri yaadon ka kaafila kabhi khatm na hoga...
.
.
dil dhadakna band kar de wo alag baat hai.....

++++++++++

"वो अल्फ़ाज़ ही क्या,जो समझाने पड़े
हमने मोहब्बत की है, कोई वकालत नही"..

+++++++++

ए दिल अब तो होश मैं आ.....
यहाँ तुझे कोई अपना कहता ही नहीं....
और तू है की खामख्वा किसी का बनने पे तुला है.!!!!

++++++++++

वो मुझे भूल ही गया होगा शायद,
इतनी मुद्दत तो कोई खफ़ा नहीं रहता||

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ऐसा कोई ज़िन्दगी से वादा तो नहीं था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नहीं था
तेरे लिये रातों में चाँदनी उगाई थी
क्यारियों में ख़ुशबू की रोशनी लगाई थी
जाने कहाँ टूटी है, डोर मेरे ख़्वाब की
ख़्वाब से जागेंगें, सोचा तो नहीं था
शामियाने शामों के रोज़ ही सजाये थे
कितनी उम्मीदों के मेहमां बुलाये थे
आके दरवाज़े से, लौट गये वो
यूं भी कोई आएगा, सोचा तो नहीं था

++++++++++

गर तेरी गली में आना जाना बना लिया होता
तो अब तक तुझको दीवाना बना लिया होता
हमको तो इस महफ़िल में आना था
वरना कोई भी बहाना बना लिया होता
अच्छा हुआ हम ज़मीन पर ही रहे
वरना अब तक निशाना बना लिया होता
इस तरह दर-ब-दर नहीं भटक रहे होते
गर कहीं कोई ठिकाना बना लिया होता
हम तो बस तेरे इंतज़ार में रह गए
वरना कोई दूसरा आशियाना बना लिया होता

+++++++++++

आज़ाद कर दिया मैंने आज उन परिन्दो को कैद से..
जो पिंजरे मेँ रहकर भी गैरोँ के साथ उडने का शौक रखते हैँ..

++++++++++

मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं
तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती
तुम उस बात पे कितना हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं

ये कहाँ आ गए हम, यूँ ही साथ साथ चलते
तेरी बाहों में हैं जानम, मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते

ये रात हैं या, तुम्हारी जुल्फे खुली हुयी है
है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी राते धुली हुयी है
ये चाँद है, या तुम्हारा कंगन
सितारे है, या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है, या तुम्हारे बदन की खुशबू
ये पत्तियों की हैं सरसराहट, के तुम ने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम
के जब के, मुझको को भी ये खबर है, के तुम नहीं हो, कही नहीं हो
मगर ये दिल हैं के कह रहा है, तुम यही हो, यही कही हो

तू बदन है, मैं हूँ छाया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करनेवाले, तू जहाँ हैं मैं वहाँ हूँ
हमे मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते

मेरी सांस सांस महके, कोई भीना भीना चन्दन
तेरा प्यार चांदनी है, मेरा दिल हैं जैसे आँगन
हुयी और भी मुलायम, मेरी शाम ढलते ढलते

मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी
तनहाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी
कहने को बहोत कुछ हैं मगर किस से कहे हम
कब तक यूँ ही खामोश रहे हम और सहे हम
दिल कहता हैं दुनियाँ की हर एक रस्म उठा दे
दिवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दे
क्यों दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दे
हां हम को मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी

+++++++++++

हादसे से बड़ा हादसा ये हुआ कि...
लोग ठहरे नहीं हादसा देख कर ...

++++++++++

मेरे रूठ जाने से ,अब उनको कोई फर्क नहीं पड़ता
बे चैन कर देती थी कभी जिन को ख़ामोशी मेरी |

++++++++

ऐ ज़िन्दगी मुझे तोड़ कर ऐसे बिखेर अब की बार,
ना खुद को जोड़ पाऊँ मै, ना फिर से तोड़ पाये वो....

+++++++++

सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से ...
या तो दोनों आते हैं या कोई नहीं आता ...

++++++++++

Gum ki mujh par kuch aisi najar ho gayi
Jab bhi hum hase ye aankhe nam ho gayi
Hum roye bhi toh wo jaan naa sake…aur
Wo udas b huye to hume khabar ho gayi.

++++++++++
जिन्दगी बस एक पल की मोहताज़
नहीं होती,बस
वक़्त उसे मोहताज बना देता है....
"प्यार को समझे और उसे महत्व दे,
उसे तोले नहीं... क्योकि प्यार अनमोल ह

++++++++++

ज़िन्दगी गुज़र जाएगी इंतज़ार में,
सब कुछ सह जायेंगे प्यार में,
तू हमेशा रहेगा याद में,
एक फूल की तरह किताब में।

++++++++++

अपने होने का हम इस तरह पता देते थे,
खाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे.......
उसकी महफ़िल में वही सच था वो जो कुछ भी कहे,
हम भी गूंगों की तरह हाथ उठा देते थे.............

++++++++++

मेरे पंख काटकर खुश मत होना,
मुझे बिना पंख उडऩे का हुनर आता है.

++++++++++

कितने वर्षो का सफ़र खाक हुआ,
उसने जब पूंछा "कहो कैसे आना हुआ"

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वो कहते हैं सोच लेना था मुहब्बत करने से पहले।
अब उनको कौन समझाए सोच कर तो साजिश की जाती हैं मुहब्बत नहीं।।

+++++++++++

वो मुहब्बत भी उसकी थी वो नफरत भी उसकी थी ,
वो अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी !
मैं अपनी वफा का इन्साफ किस से मांगता ,
वो शहर भी उसका था वो अदालत भी उसकी थी !

++++++++++++

एक पल में जो बर्बाद कर देते है दिल की बस्ती को,
वो लोग देखने में अक्सर मासूम होते है.

++++++++++

हम तो चले थे ठीक रास्ते पर ही
तेरे क़दमों के निशाँ ने हमें भटका दिया

++++++++++

इक उम्र बीतानी है मुझे उस के बगैर,
और इक रात है की मुझसे गुज़रती नहीं.

+++++++++++

मैं अब चाहत की उस मंजिल पे आ चूका हूँ,
के तुझको किसी का, देखना भी अच्छा नहीं लगता..

+++++++++++

तेरे जाने के बाद बहुत बदल गयी है जिंदगी मेरी,

लेकिन तुझे याद करने की मेरी वो आदत नहीं बदली !!!

+++++++++\

वो एक "मुस्कराहट" जिस पर जान लुटाने को जी चाहता है,
वो एक चाहत जिसे "अपना" बनाने को जी चाहता है,
वो एक "मासुमियत" जिसमे खो जाने को जी चाहता है,
वो एक प्यारा सा "रिश्ता" जिसे निभाने को जी चाहता है

++++++++++++

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिये

आप दरिया हैं तो फिर इस वक्त हम खतरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हमको पार होना चाहिये

ऐरे गैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों
आपको औरत नहीं अखबार होना चाहिये

जिंदगी कब तलक दर दर फिरायेगी हमें
टूटा फूटा ही सही घर बार होना चाहिये

अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दें मुझे
इश्क के हिस्से में भी इतवार होना चाहिये

+++++++++++

वजह पूछने का तो मौका ही ना मिला,
बस वो लहजा बदलते गये और हम अजनबी होते गये..

++++++++++

दो दिन का कर के इश्क़ ज़िन्दगी भर का ग़म दे दिया---!
कमबख्त इतना सूद तो किसी मुनीम ने भी ना लिया---!!

++++++++
हमने भी छोड़ दिया, उसका इंतज़ार करना हमेशा के लिए,
जिसे हमारी निग़ाह की कदर ही न हो, उसे मुड़ मुड़ के क्या देखना....

++++++++++

"सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा..
जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है..."

++++++++++++++

"एक मुद्दत के बाद मिलने वाली थी कैद से आज़ादी,
.
.
.
.
.
पर किस्मत तो देखो
जब आज़ादी मिली तो पिंजरे से प्यार हो चूका था।।।।।

++++++++++

"हल्का पड़ रहा था दुश्मन मेरे मुकाबले में,
इस वजह से कुछ दोस्तों ने बगावत कर ली"..

+++++++++

दो-चार लोगों से रिश्ते बनाये रखिये...!!
कब्र तक लाश को दौलत नहीं ले जाया करती..!!

++++++++++

"ऊपर वाला भी आशिक हैं अपना... किसी और का होने नहीं देता मुझे"..

++++++++++++

"हर बात मानी है तेरी सर झुका कर ए जिंदगी, हिसाब बराबर कर....
तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी"..

+++++++++

मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने!
तेरे ही मंदिर में; तेरी ही मस्जिद में;
तेरे ही बंदे; तेरे ही सामने रोते हैं!
तुझे नहीं, किसी और को पाने के लिए!.......

+++++++++

अगर रुक जाये मेरी धड़कन तो मौत ना समझ लेना
कई बार ऐसा हुआ है तुझको याद करते करते ....

+++++++++++

जब भी वो उदास हो उसे मेरी कहानी सुना देना ,
मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत है............

+++++++++

तजुर्बा एक ही काफी था, बयान करने के लिए.....
मैंने देखा ही नहीं इश्क़ दोबारा कर के...

++++++++++]
रोती हुई आँखो मे इंतेज़ार होता है,
ना चाहते हुए भी प्यार होता है,
क्यू देखते है हम वो सपने,
जिनके टूटने पर भी उनके सच होने
का इंतेज़ार होता है?

_++++++++++++

अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,
गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा...

+++++++++++
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते
लोग कहते है हम मुश्कुराते बहोत है ,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते
"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ.
मालूम हे कोई मोल नहीं मेरा.....
फिर भी,
कुछ अनमोल लोगो से
रिश्ता रखता हूँ......!
क्या हुआ अगर जिंदगी में"हम"तन्हा है ???
लेकिन इतनी अहमियत तो
दोस्तो में बना ही ली है कि...
"मेला लग जायेगा उस दिन शमशान
में,
जिस दिन"मैँ"चला जाँऊगा आसमान में"!!

++++++++++

मंजिल भी नहीं ठिकाना भी नहीं
वापस मुझे घर जाना भी नहीं
मैंने ही सिखाया था उसे तीर चलाना
अब मेरे सिवा उसका कोई निशाना भी नहीं

+++++++++++

'बेशक' मेरी जिंदगी तेरे साथ की मोहताज नहीं,
पर 'दिल' तेरे एहसासों का तलबगार आज भी है ||

++++++++++

चुपके से गुजार देंगे जिंदगी नाम तेरे,
लोगों को फिर बताएंगे प्यार ऐसे भी होता है...

+++++++++

"तेरा घमंड तो चार दिन का है पगली,
हमारी बादशाही तो खानदानी है"..

++++++++++

मरता नहीं कोई किसी के बगैर, ये हकीकत है जिंदगी की..!
लेकिन सिर्फ साँसें लेने भर को, जीना तो नहीं कहते.......!!

+++++++++

उजड़ी हुई दुनिया को तू आबाद न कर,
बीते हुए लम्हों को तू याद न कर,
एक कैद परिंदा का है तुमसे यही कहना-
"मैं भूल चूका हु उड़ना मुझे आज़ाद न कर"

+++++++++

कोई यादों से प्यार करता है,
कोई प्यार में यादें संजोता है,
किस पर करे ऐतबार प्यार पर या याद़ों पर..
अक्सर प्यार करने वाला यादें देकर चला जाता है…

+++++++++
ना पड़े किसी को आदत किसी की इतनी,
की हर सांस भी आये उसकी याद के बाद .....!

++++++++






16 comments:

  1. दिल को छू गई

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  2. बहुत अच्छा लगा पढ़कर थैंक यू

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  5. वह खूबसूरत है उससे कहो पर मेरे अलावा किसी और को जलाया न करें

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  6. आपके द्वारा लिखा गयी ये पोस्ट मुझे बहुत पसंद आई। हमे उम्मीद है की आप ऐसी ही पोस्ट लिखते रहेंगे। जो लोगो को पसंद आए। हैलो सर मेरा नाम है धर्मेंद्र मेरी वैबसाइट मे आप जरूर visit करे । जिससे हमारे द्वारा लिखे गए पोस्ट आप पढ़ सके। धन्यवाद॥ Ratke12Baje.com - Zindagi Maut Shayari in Hindi वो इतना रोई मेरी मौत पर

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  7. Bhut khoob!!
    have a look on my collection of Dhokha Shayari

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