Friday 26 December 2014

हिंदी शायरी- एक एहसास ..

कैसे मैं यादों का सिलसिला हो जाऊं,
तू है साथ तो कैसे तनहा हो जाऊं .

मुझको छू तू बचपन वाले हाथों से ,
शायद मैं फिर वही खिलौना हो जाऊं.

अगर तू मुझको फिर से पढ़ने आए तो,
ख़ुद को खोलूं और मदरसा हो जाऊं .

फितरत से मैं भरा हुआ पैमाना हूँ,
तू छूले तो और नशीला हो जाऊं .

मेरे आगे अपना चेहरा ला तो सही ,
पत्थर हूँ मैं मगर आईना हो जाऊं.

क़तरा हूँ मैं ये भी तूने सही कहा ,
मगर तू मिल जाए तो दरिया हो जाऊं.

अपनी किसी दुआ में शामिल कर मुझको,
फिर ये देख की कैसे तेरा हो जाऊं.

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इस छोटे से दिल मे किस - किस को जगह दूँ मै....

गम रहेँ ,दम रहेँ, फरियाद रहेँ.. या तेरी याद रहे....
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तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है..,.

पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है....

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लिखना तो ये था कि खुश हूँ उसके बगैर भी.....

मगर कलम के कुछ लिखने से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया....

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कुछ तो हैं जो बदल गया ज़िंदगी मे मेरी....

कि अब आइने मे चहेरा मेरा, हँसता हुआ नज़र नही आता....

++++++++++

किसी को तकलीफ देना
मेरी आदत नही,
बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही...!
मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह,
औरो की खुशी देखकर जलना मेरी आदत नही...!
सबको हँसता ही
देखना चाहता हूँ मै,
किसी को धोखे से भी
रुलाना मेरी आदत नही...! बांटना चाहता हूँ
तो बस प्यार और मोहब्बत,
यूँ नफरत फैलाना
मेरी आदत नही...!
ज़िदगी मिट जाये
किसी की खातिर गम नही,
कोई बद्दुआ दे मरने की
यूँ जीना मेरी आदत
नही...!
सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता हूँ,
किसी का दिल दुखा दूँ
मेरी आदत नही...!
दोस्ती होती है
दिलों के चाहने पर, जबरदस्ती दोस्ती करना
मेरी आदत नही..! .**


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++++
नया दर्द हैं ये तो नयी प्यास हैं
जवानी का पहला एहसास हैं
मोहब्बत का दिल पे नशा छा गया
कुछ भी हो जानम मज़ा आ गया
के अब दिल संभाले ना संभालता हैं


++++

ऐ चाँद तेरे चाँदनी की कसम मेरे पास भी एक चाँद है
तुझ में तो फिर भी दाग है, मेरा चाँद तो बेदाग हैं
तेरी दूरियोंकी कसम मेरा चाँद मेरे पास है
किरणों से भारी, सुबह हो, तारों से भारी शाम
मौजों में तेरा चेहरा, फूलों में तेरा नाम
मेरे महबूब सनम तू मेरा एहसास है
तारीफ़ करो ना इतनी तुम साँसे हैं रुकी जाती
आती हैं शर्म सी मुझ को, आँखे हैं झुक जाती
मेरी धड़कनों में सनम हर घड़ी तेरी प्यास है
++++
हमे और जीने की चाहत ना होती
अगर तुम ना होते, अगर तुम ना होते
तुम्हे देख के तो लगता हैं ऐसे
बहारों का मौसम आया हो जैसे
दिखायी ना देती, अंधेरों में ज्योती
अगर तुम ना होते..
हमे जो तुम्हारा सहारा ना मिलता
भंवर में ही रहते, किनारा ना मिलता
किनारे पे भी तो, लहर आ डूबोती
अगर तुम ना होते..
न जाने क्यो दिल से, ये आवाज़ आयी
मिलन से हैं बढ़ के, तुम्हारी जुदाई
इन आँखों के आँसू ना कहलाते मोती
अगर तुम ना होते..
++++++

किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
मुझको अहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

मेरे रुकने से मेरी साँसें भी रुक जाएँगी
फ़ासले और बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

ज़हर पीने की तो आदत थी ज़मानेवालों
अब कोई और दवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

चलती राहों में यूँ ही आँख लगी है ‘फ़ाकिर’
भीड़ लोगों की हटा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

++++++
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको।
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वजह पूछोगी तो उम्र गुजर जाएगी,
कहा ना कि..
अच्छी लगती हो तो बस अच्छी लगती हो।
++++
आज भी देख लिया उसने के मैं जिंदा हूँ,
छोड़ आया हूँ उसे आज भी हैरानी में...
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हम उनको मनाने जायेंगे उनकी उम्मीद गजब की है..
वे खुद चलकर आयेंगे हमारी भी जिद गजब की है..
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अब तो शायद ही मुझसे मोहब्बत करे कोई...
मेरी आँखों में तुम साफ़ नज़र आते हो....
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तेरी इस बेवफ़ाई पे फ़िदा होती है जान मेरी,
खुदा ही जाने अगर तुझमे वफ़ा होती तो क्या होता......
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दिल का क्या है ये तो उनकी यादों के सहारे जी लेगा,
बात तो इन आँखों की है जो उनके दीदार को तरसतीं हैं.
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जहर भी मीठा लगे तो ताज्जुब मत कीजिए
यह क़ातिलों का शहर है,प्यार से कत्ल होना सीखिए
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"अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठे"
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मेरी तक़दीर का फ़साना ही ये था...
मैं तो दीवाना था उसका वो किसी और की दीवानी थी...
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उन्हे झूठ बोलना भी हम ही ने सिखाया है दोस्तों,
उनकी हर बात को सच मान मान के...
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गुजरते हैं तेरी गलियों से मेरी नज़रे तेरी एक झलक दे देती है..
गम ये नहीं है की आप दरवाजा बंद कर लेते हो..
ख़ुशी तो यह है की आप हमे अब भी पहचान लेते हो..
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मैं क्यूँ पुकारु उसे कि लौट आवो,
क्या उसे ख़बर नहीं कि कुछ नही मेरे पास उसके सिवा
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दिल दिया था उसे मोहब्बत कि निशानी समझकर
वो खा गयी उसे बिरयानी समझकर?

खुन-ए-जिगर भी ना छोड़ा जालिम ने
उसे भी पी गई निंबु-पानी समझकर?
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आज कल सब कहते हैं, मैं बुझा-बुझा सा रहता हूँ
अगर जलता रहता तो कब का खाक हो जाता
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न जाने कब और कहाँ खर्च हो गये, पता ही न चला
वो लम्हे, जो छुपाकर रखे थे, सुकून से जीने के लिए"
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अजीब कहानी है इश्क और मोहब्बत की,
उसे पाया ही नहीं फिर भी खोने से डरता हूँ.
+++++
छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे,
वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है..
+++++
मैनें कई बार
कोशिश की है
तुम से दूर जानें की,
लेकिन
मीलों चलनें के बाद
जब मुड़ कर देखता हूँ
तो तुम्हें
उतना ही करीब पाता
हूँ |
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सौ बार मरना चाहा निगाहों में डूब कर
वो निगाहें झुका लेती है, हमें मरने नहीं देती
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टूटा तारा देख कर दिल ने कहा मांग ले तू फ़रियाद कोई,
मैंने कहा जो खुद टूट रहा है कैसे पूरी करेगा वो मुराद कोई.
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हर एक शख्स ने अपने अपने तरीके से इस्तेमाल किया हमें..
और हम समझते रहे लोग हमें पसंद करते हैं !!
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आज फिर तन्हा
रात में इंतज़ार है उस शख्स का
जो कहा करता था
तुमसे बात न करूँ तो
नींद नहीं आती .................
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उसके ना होने से कुछ भी नहीं बदला ज़िन्दगी मे..
बस पहले जहाँ 'दिल की धड़कन' होती थी वहाँ अब दर्द है..
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अब मैं तन्हा हूँ , तू चली आ मेरे पास...
ए नींद जिस के लिए तुझे छोड़ा था,
मुझे वो कब का छोड़ चूका .....!
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बिन बात के ही रूठने की आदत है;
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है;
आप खुश रहें, मेरा क्या है;
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है!

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हो इजाज़त तो तुम से एक बात पूछु ???
जो हमसे इश्क सीखा था .... वो अब
किससे करते हो ???
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मुझे इसलिए मत ठुकराओ कि मैं गरीब हूँ
गरीब ही तो इस देश मैं नियम कानून से चलता है
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नजरो से नजरो का टकराव होता होता है,
हर मोड़ पर किसी का इंतज़ार होता है,
दिल रोता है और जख्म हँसते हैं,
इसी का नाम प्यार होता है..........

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अब की मिलेंगे तो खूब रुलायेंगे उस संगदिल को
सुना है उसको रोते में लिपट जाने की आदत है

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इसे इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त,,
आँखे जब भी नम हुई, वजह तुम निकले।।

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मैंने ज़िंदगी से पुछा कि तू इतनी कठिन क्यों है?
ज़िंदगी ने हंसकर कहा,
"दुनियां आसान चीज़ों की कद्र नहीं करती...!!!


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कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी..
हजारो अपने है मगर याद तुम ही आते हो...
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समेट के ले जाओ अपने झूठे वादों के किस्से,
अगली मुह्हबत में तुम्हे फिर इनकी जरुरत पड़ेगी..
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मुझे महफ़िल में सूनापन लगेगा ...
तेरे बगैर कहाँ.... मन लगेगा ..
एक लम्हे में हो गए थे मेरे ..
भुलाने में मगर जीवन लगेगा ..
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तुम्ही से रूठकर तुमको हमेशा सोचते रहना...
मुझे तो ठीक से नाराज़ होना भी नहीं आता...

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तुझसे अब कोई वास्ता तो नहीं है लेकिन,
तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तनहा ही गुज़रता है...

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जाते वक़्त उसने बड़े गुरुर से कहा था, "तुम जैसे हज़ार मिलेंगे !
मैंने मुस्कराकर कहा, मुझ जैसे की ही तलाश क्यों ..

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हंसते हुए होठों ने भरम रखा हमारा ,
वो देखने आया था किस हाल में हम है

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मुझे महफ़िल में सूनापन लगेगा ...
तेरे बगैर कहाँ.... मन लगेगा ..
एक लम्हे में हो गए थे मेरे ..
भुलाने में मगर जीवन लगेगा ...
+++++++
कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी..
हजारो अपने है मगर याद तुम ही आते हो...

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हम इतने खूबसुरत तो नही है मगर हाँ...!!
.
.
जिसे आँख भर के देख ले उसे उलझन मेँ डाल देते हॆ ॥

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मैं तो बदनाम हुआ करके मुहब्बत,
तुम तो समझदार हो दूर रहो इससे...

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ग़लत फ़हमियों से पैदा है ये दूरियाँ वरना,
फ़ितरत का बुरा तू भी नहीं, मैं भी नहीं...!!!

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बेपरवाह मुहब्बत के , बस इतने फ़साने हैं
ताल्लुक नहीं रखते जो , हम उनके दीवाने हैं !
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इस दिल को कितनी बार समझाया है के उसको याद कर के तडपा न कर,
पर नासमझ कहता है की उनको याद करता हूँ तभी तो धड़कता हूँ...

+++++++++
किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाती है अक्सर,
रुका वो भी नहीं करते,
ठहरा हम भी नहीं करते,

जब भी देखता हूँ उन्हें,
सोचता हूँ कुछ कहूँ उनसे,
सुना वो भी नहीं करते,
कहा हम भी नहीं करते,

लेकिन ये तो सच है यारो,
उन्हें भी मोहब्बत है मुझसे,
इनकार वो भी नहीं करते,
इज़हार भी नहीं करते .....

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फूंक डालूँगा ये दिल की दुनिया
तेरा ख़त तो नहीं के जला भी न सकूँ
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तूने फैसले ही फासले बढ़ाने वाले है किये,
वरना कुछ न था , तुझसे ज्यादा करीब मेरे !!
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दुश्मनों के खेमे में चल रही थी मेरे क़त्ल की साज़िश
मैं पहुँचा तो वो बोले " यार तेरी उम्र बहुत लम्बी है "..



 

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