Friday, 2 January 2015

अलविदा 2014 तुमसे कुछ प्रश्नों के जवाब बाकी हैं :-


सीधी सी बात है यह देश किसी के बाप का नहीं है और अगर है भी तो उतना ही मेरे बाप का भी है।
हमारे देश के ही एक हिस्से में भारतीय नागरिक अपने पुरखों का घर छोड़ कर भागे या भाग रहे हैं,जी हाँ मै काश्मीरी पंडित भाईयों की बात कर रहा हूँ,अगर वहां काश्मीरी मुसलमान रह सकते हैं तो काश्मीरी पंडित क्युँ नहीं ? कैसे हालात थे क्युँ नहीं सुरक्षा दी गई कि वह अपने मिट्टी और जमीन पर रहते ? क्यों नहीं उनकी समस्याओं को समझा गया,क्युँ नहीं ऐसे हालात से लड़ा गया कि वह वहाँ रुकते? कौन है जिम्मेदार ? निश्चित ही वह उनकी जिम्मेदारी थी जिनकी भी सरकारें रहीं हो इस मामले में सब निकम्मी थीं,नाम लूंगा तो विवाद होगा पर ज़रा सोचें कि प्रलाप करके दोष देकर इतिश्री कर लेना ही काफी है या काश्मीरी पंडितों के लिए कुछ करना जरूरी भी है ? क्या किया गया आज तक ? जो सरकार पहले थी वह भी जो अब है वह भी उसे जिम्मेदार नहीं मानते आप ? या आज भें भें कर काश्मीरी पंडितों के लिए रोने वाले उनके लिए क्या कर रहे हैं ?अब एक तथ्य यह भी है कि कश्मीरी पंडित अब जहाँ हैं वहां सुखी हैं और काश्मीर से अधिक सुखी हैं इसलिए वापस जाना ही नहीं चाहते,पर सच तो यह है कि उनका घर छोड़ना उनके लिए दुख भरा कदम था ।
ऐसे हालात में इंडो-बंगला देश के बार्डर को पार करके बिना रोक टोक बंगला देशी अवैध तरीके से कैसे घुस रहे हैं? मुसलमान हैं इससे मतलब नहीँ है,अवैघ तो अवैध है उनकी पहचान करके तुरंत उनकी "घर वापसी" कराई जाए और बार्डर पार करने पर रोक क्युँ ना लगाई जाए ? पर दोगलापन नहीं चलेगा,यही बंगला देशी "घर वापसी" के अभियान में लालच देकर बुलाए जाते हैं तो वह शुद्ध भारतीय हो जाते हैं ।हद है यह कि इन अवैध बंगलादेशियो का विरोध तो होता है और होना भी चाहिए पर टूरिस्ट बीज़ा पर भारत आए पाकिस्तानी हिन्दू नागरिक यहीं रह जाते हैं,हजारों हजार की तादात मे नैपाली भारत मे रोज घुसते हैं,यहीं रहते हैं तो कोई प्रश्न क्युँ नहीं उठाता ? क्या अलग अलग मापदंड होंगे ? कोई बताएगा कि किसी भी देश के खराब हालात में वहां के नागरिकों को अवैध रूप से भारत मे घुस जाना चाहिए?क्या हमारा देश शरणार्थी स्थल है? अगर नहीं तो तस्लीमा नसरीन क्युँ रह रही है यहाँ ?सलमान रुश्दी क्युँ वीजा पाता है ? जब उसके कृत्य से देश का एक वर्ग आहत होता है अगर हां तो यह नियम सबके लिए क्यों नहीं और अगर हाँ तो दोगलापन क्युँ ? सब भगाए जाएं बिना धर्म देखे निष्पक्ष भाव से,हमारे देश मे वैसे ही समस्याएं कम नहीं जो यह एक नई समस्या आए।
देश में दोगलापन की पराकाष्ठा पार कर चुकी है,चाहे कोई कुछ भी कहे भारत मे गोहत्या पर प्रतिबंध लगना चाहिए ।एक पशु जिस पर देश के बहुसंख्यक लोगो की श्रृद्धा है उसके वध पर राष्ट्र द्रोह लगाकर मृत्यु दंड का प्रावधान क्युँ नहीं होना चाहिए ? किसने रोका है ऐसा करने से ?कांग्रेस की सरकार तो निकम्मी थी ही पर ये सरकार तो "पिंक रिवोल्यूशन" के खिलाफ वोट लेकर आई थी ? 7 महीने में गोहत्या के विरूद्ध कुछ किया ? बिल्कुल नहीं ।भारत के छः सबसे बड़े मीट इक्सपोर्टर में से टाप 4 हिन्दू धर्म के हैं और वो भी ब्राह्मण समाज के हैं और बेहद असरदार हैं विदेशों मे व्हाइट मीट(गो मांस) की जबरदस्त डिमांड होती है तो इसे कोई कार्रवाई हुई रोकने की ? कि हमारी गऊ माता की रक्षा हो सके ?,सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि गऊ हत्या रोकने के कड़े कानून पर कोई विवाद भी नहीं है और देश का एक एक मुसलमान हो या पार्टियां सरकार का साथ देंगीं फिर भी दोगलापन क्युँ ? क्या है अब मजबूरी ?
आप बताएंगे क्युँ ?

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