Friday, 26 December 2014

shayari..

कुछ न रहा पास हमारे तो सँभाल कर रख ली तन्हाई
ये वो सल्तनत है ... ,
जिस के बादशाह भी हम !!
"वज़ीर" भी हम .......
और " फ़कीर " भी हम !

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जो वक्त ने पढ़ाया , मास्टर जी क्या पढ़ाते !
जीवन गुजारा हमने , धोते- नहाते-खाते !
धरती पे सबका जीवन, शायद हसीन होता ,
तमीज से ही हम जो ,पहचाने अगर जाते !
गंर आईने में अपना, जो चित्र नहीं दिखता ,
केवल चरित्र दिखता , तो हम भी सुधर जाते !
हम जानवर हैं कैसे , कि पेट के लिये ही ,
रब का दिया वो तोहफा , ईमान बेच आते !
हम सभ्यता के आशिक, मंगल व चाँद छाने ,
जो दिल हमारे पास , उसे भूल भूल जाते !
माँ सच है, पिता सच है , भाई बहन भी सच है ,
वो मौत भी तो सच है , हम क्यूँ हैं भूल जाते ?
पत्थर जमा किये क्यूँ ? कंकर जमा किये क्यूँ ??
इक उम्र गुजरती है , ये अक्ल आते आते !


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अब ये हम पर है कि उसको कौन सा हम नाम दे,
जिंदगी जंगल भी है और जिंदगी मधुवन भी है !!

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चिरागो की तरह मै भी सन्नाटे छोड़ जाऊँगा....
तरसेगी तू फ़िर मेरे शोर के लिये....

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अभी इतनी जल्दी क्या है मुझे छोड़ने की.....
मेरी साँसें अभी बाकी हैं, और कोशिश कर लो तोड़ने की.....

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पता नही क्या रिश्ता था टहनी से उस पंछी का.....
उड़ने के बाद भी, वो काफी देर तक कांपती ही रही...


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तू हमें, जिनकी महफिल में बदनाम करती है.....
पाँव पड़ते हैं वो लोग हमारे, जिन्हें तू सलाम करती है......

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ना जख्म भरे, ना शराब हमारा...सहारा हुई......
ना वो लौटे वापिस, और ना...मोहब्बत दोबारा हुई......

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मेरी बातों पे, मेरे अपने....हंसते बहुत हैं,....
पर, दिल में जो झांकता है, हाल ....वही जानता है.....

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मुझे ना ढूंढ ज़मीन-ओ-आसमाँ की गर्दिशों में......
मैं अगर, तेरे दिल में नही, तो...कहीं भी नही.....

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लो हो गया फिर हिचकियों का सिलसिला शुरू.....
सनम तुम आज फिर हमें सोने नहीं दोगे....

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नतीजा एक ही निकला था कि, किस्मत में नाकामी.....
कभी कुछ, कह के पछताये, तो कभी चुप रह के पछताये.....

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​जिंदगी मेरे कानो मे अभी होले से कुछ कह गई.,...
उन रिश्तो को संभाले रखना जिनके बिन गुज़ारा नहीं होता.....

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तेरी दास्तान ए हयात को लिखूँ किस ग़ज़ल के नाम से.....
तेरी शोखियाँ भी अजीब है, तेरी सादगी भी कमाल है.....

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जुबान खामोश हो तो बोलती है आँखे.....
समझ जायें अगर वो तो मजा आ जायें.....

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काश! दिलो का भी कोई चुनावी मौसम होता.....
जज्बातो के गड्ढे पांच साल में ही सही भर तो जाते......

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शांत बैठा हुँ तो ये मत समझना कि आग नहीँ है मेरे अंदर.....
डरता हुँ कहीँ समन्दर कम ना पड़ जाये बुझाने के लिये.....


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किस्से तो तेरे सरे आम मशहूर थे बेवफाई के.,

मगर दिल ये नादान किस्सों पर नही तुझ पे मरता है.,.


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परख हीरे की करनी है तो कभी अंधेरे में मिलो.,...
वरना, धूँप में तो, काँच के टुकड़े भी चमकते हैं....

+++++++++++++तेरी आँखों के इशारे मुझे एग्जिट पोल के नतीजों से लगते है.....
अब फ़ाइनल बता भी दे, तेरे दिल पर मेरी सरकार, कब से राज करेगी.....

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नाम तो लिख दूँ उसका अपनी हर शायरी के साथ.....
मगर फिर ख्याल आता है, मासूम सा है सनम
मेरा कहीं बदनाम ना हों जाये....

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हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर तो कोई भी कर ले.....
जो सबके दिल पे छा जाए उसे इंसान कहते हैं....
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खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,....
सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं.....

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ज़रा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रिवायत से...
के जिन पे बोझ डालूं मैं, वो कंधे याद रखता हूँ....

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भले ही देर से आये मगर वो वक़्त आता है,...
हकीकत खुल ही जाती है मुखौटे टूट जाते हैं.,.

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ईलाज न ढुँढ ईश्क का वो होगा ही नही....
ईलाज मर्ज का होता है ईबादत का नही...

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अब सहारोँ की बात मत करना यारोँ....
बस दिलासोँ से दिल भर गया मेरा....
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बुलंदी तक पहुचना चाहता हु मै भी....
मगर गलत राहो से होकर जाऊ इतनी जल्दी भी नही....

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कोई हालात नहीं समझता,
कोई जज़्बात नहीं समझता..,..

ये तो बस,
अपनी अपनी समझ है...

कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता.....

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तेरी आँखों के लिये बस इतनी सज़ा ही काफी है.....

तू आज रात ख्वाबों में मुझे रोता हुआ देख.....

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न रुकी वक़्त की गर्दिश और न ज़माना बदला......
पेड़ सुखा तो परीन्दो ने ठिकाना बदला......

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छुप छुप कर तेरी सारी तस्वीरें देखता हूँ.....

बेशक तू ख़ूबसूरत आज भी है,पर चेहरे पर
वो मुस्कान नहीं,जो मैं लाया करता था....

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वो अधनंगा बच्चा ठीक उसी दुकान के बाहर खड़ा था....

चमचमाते कपड़े जहा पुतले पहने हुए थे.....

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दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट
जाया करती है ...
एक कामयाबी ही है जो ठोकर खा के
ही मिलती है ..

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​न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर …..
तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है,

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तुम्हारा नाम किसी अजनबी कि जुबान
पर था...
बात तो जरा सी थी पर मेरे दिल ने
बुरा मान लिया..

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बहुत मुश्किल से सीखा है ख़ुश रहना उसके बगैर...
अब सुना है यह बात भी उसे परेशान
करती है...

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बहाने फिज़ूल न बनाओ मुझसे खफा होने के....
मेरा गुनाह बस इतना है कि तुझे चाहते है हम...

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फिर आज खेल रहा हूं पुरानी यादों से..,
यही तो आखिरी कोशिश है भूल जाने
की..
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तमाम नींदे है गिरवी उसके पास,,,.
जरा सी मोहब्बत ली थी जिस से उधार..

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मैं मानता हूँ खुद की गलतियां भी कम
नहीं रही होंगी....
मगर बेकसूर उन्हें भी कहना मुनासिब
नहीं.....

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बहकते फिरते हैं कई लफ्ज़ जो दिल में मेरे....
तेरी यादों ने दिया वक्त
तो लिखूगा किसी रोज मै....

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शब्द दिल से नीकलते है यारो...
दिमाग से
तो बस मतलब निकलते है...

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हमेशा देर से समझता हूँ जिंदगी के दांव पेंच..,
फिर किस्मत जीत जाती है मेरे समझदार होने तक.,

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वो हमसे ना मिली होती तो अछा था...
बेवजह मोहब्बत से नफरत हो गयी...
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अपनी कमजोरियों का जिक्र कभी ना करना जमाने से...
लोग कटी पतंग जम कर लूट ते है...

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मोहब्बत करने चला है, तो कुछ अदब
भी सीख लेना ऐ दोस्त...,
इसमें हंसते साथ हैं, पर रोना अकेले
ही पड़ता है...,
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अगर मोहब्बत करनी है तो जज्बातों की अहमियत समझो...,..
चेहरे से शुरु हुई मोहब्बत अकसर बिस्तर पर खत्म हो जती है,.

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टूटता बहूत कूछ है अंदर,,, जब मै हँसता हूँ..
और लोग कहते है यार तू हँसता बहोत है..

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मोहब्बत सचि हो और सनम बेवफा ना हो...
कहानी कूछ अधूरी सी लगती है यारो,,..

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वादे वफा के और चाहत जिस्म की....
अगर ये मोहब्बत है तो हवस किसे कहते है...

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उसने पूछा ज़िन्दगी किसने बर्बाद
की तुम्हारी...
. उठाई हमने ऊँगली और अपने
ही दिल पे रख दी...
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यहाँ हर किसी को दरारों में झाँकने
की आदत है....
दरवाज़ा खोल दो, कोई पूछने
भी नहीं आएगा.,


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एक वक्त था जब बातें खत्म नहीं हुआ करती थी....

आज सब खत्म हो गया पर बात नहीं होती....


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बताओ ना कैसे भुलाऊ तुम्हे....

तुम तो वाकिफ हो इस हुनर से...


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नही मरना गवारा प्यार मे, तुमसे ये कहना है....

तुम्हे भी जिंदा रहना है, मुझे भी जिंदा रहना है...

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अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों....
न बताऊं तो 'कायर', बताऊँ तो 'शायर'.​


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ज़रा सा बात करने का सलिका सिख लो तुम भी....

इधर तुम लब हिलाते हो उधर दिल टूट जाता है..


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बार सम्भाल लूँगा गिरो तुम चाहो जितनी बार....

बस इल्तजा एक ही है, कि मेरी नज़रों से ना गिरना.,..

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तो आखिर दिल ने जालसाजी सीख ही ली तुमसे....

कमबख्त मेरे भीतर रहता है, और मेरा नहीं है,...


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जो न मानो तो फिर तोल लेना तराजू के पलड़ों पर....

तुम्हारे हुस्न से कई ज्यादा मेरा इश्क भारी है..,

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चलते चलते थक कर पूँछा पाँव के ज़ख़्मी छालों ने....

बस्ती कितनी दूर बना ली दिल में बसने वालों ने..

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सुन पगली इतनी प्यारी नही हो तुम.!.
मेरी चाहतों ने तुम्हे
सर पे चढ़ा रखा है..!!..

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हमे अकेले रहने का कोई शौक नही,
पर क्या करें...
हमारा तेवर झेल सके
ऐसी पगली मिली नहीं आज तक..!!..

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जिसको गलत तस्वीर दिखाई
उसको ही बस खुश रख पाया.!.
जिसके सामने आईना रक्खा
हर शख्स वो मुझसे रूठ गया..!!..

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बरबाद कर देती है मोहब्बत
हर मोहब्बत करने वाले को.!.
क्यू कि, इश्क़ हार नही मानता,
और दिल
बात नही मानता..!!..

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यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है.!.
चलो अच्छा है कुछ ख़तरा नहीं है..!!..
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इश्क के फटाखे फोड़ना हमने छोड़ दिया.!.
वरना हर दरवाजे पर
हमारा ही धमाका होता..!!..

+++++++++++++++

में जानता हूँ कि बादशाह बनने जैसी
मुझमें कोई बात नहीं.!.
ऐ दोस्तों ...
मगर ये भी सच हैं कि मेरे जैसा बनने की
बादशाह की भी औकात नहीं..!!..

++++++++++++++

जिस शख्स के लिए हम ने सारी हदें तोड़ दी,
आज उस शख्स ने हमसे कहा...
कि अपनी हद में रह कर बात करो..!!..

++++++++++++++

जिसकी शायरी मेँ होती हैँ अक्सर सिसकिया.!.
वो शायर नहीँ,
किसी बेवफा का दिवाना होता है..!!..

++++++++++++++++++++++++

फिदरत से तो हम मालिक है अपनी मर्जीके.!.
बस दिलके कुछ हिस्सोंपे
उनकी हुकूमत चलती है..!!..

++++++++++++++

मेरे लफ्जों की पहचान अगर वो कर लेती......
उसे मुझसे नहीं खुद से मुहब्बत हो जाती......


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आजकल सब कहते हैं मैं बुझा-बुझा सा रहता हूँ....
अगर जलता रहता तो कब का खाक हो जाता..


++++++++++++

मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो.....
वरना जिन्दगी रुलाने के मौके तलाश लेगी..


+++++++++++

अभी तो मोहब्बत में और नुकसान बाक़ी है....
तेरे कंधो पर मेरे आँसुओ के निशान बाक़ी है..


++++++++++++++++

जितना चाहे रूला ले मुझको तूँ ऐ जिन्दगी...
हंसकर गुजार दूँगा तुझको, ये मेरी भी जिद्द है..


+++++++++++++

शायरी करता हूँ, शायरों का सम्मान करता हूँ.....
आशिकी से नफरत है, आशिक़ों को बदनाम करता हूँ..


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अपनी हार पर कितना सकून था मुझे.....
जब उसने गले लगाया, जीतने के बाद.


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दुनिया वालों ने फकत उसको हवा दी थी.....
लोग तो घर ही के थे आग लगाने वाले...


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मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ ऐ खुदा....
किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे, जो मौत तक वफा करे....


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रौशनी में कुछ कमी रह जाये तो बता देना.......
दिल आज भी हाज़िर है...जलने को..


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अपनी 'दीवानगी' का, इसलिए 'बखान' नहीं करता......
जो हो गया उसे 'गुरुर', तो ये 'कसूर' मेरा होगा..


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दिल नहीं करता दर्द को लिखने में....
वो बेबफा ही सही पर आज भी उसका नाम
अच्छा लगता है....


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क्यूँ रोते हो उसकी याद में जो कभी तुम्हारा था ही नही....
आँसुओं से अगर मुकद्दर बनता तो आज मेरा भी कोई होता.


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दिया जरुर जलाऊंगा चाहे मुझे ईश्वर मिले न मिले....
हो सकता है दीपक की रोशनी से किसी मुसाफिर को ठोकर न लगे.


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भीड़ इतनी तो नही थी शहर के बाज़ारों मे....
खोने वाले तूने कुछ देर तो हमे ढूंढा होता.

 
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आँखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही काफी है.....
नहीं तो नकाबों से भी होते हैं इशारे मोहब्बत के.....


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जिसको तलब हो हमारी, वो लगाये बोली....
सौदा बुरा नहीं .बस "हालात" बुरे है....


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डर है कि दर्द में तब्दील न हो जाए जिंदगी....
यादें आजकल तुम्हारी हद से गुजर जातीं हैं..


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उनकी नादानि की हद ना पूछिए जनाब....
हमें खोकर, हमारे जैसा ढूंढ रहे हैं वो..


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सब ग़म लिख दिये हमने आखिर में क़लम ने नाम पूछा....
ठिठुरते होंठों ने कहा "उफ़्फ़ " रुसवाई हो जाएगी.


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दिन गुज़र जाता है इसी कशमकश में अक्सर....
मैं तुझसे बात करूँ या तेरी बात करूँ...


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आओ मिलकर मोहब्बत को आग लगा दें.....
कि फिर ना तबाह हो किसी मासूम की जिंदगी..


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बेनाम न जायेंगे ये अहसास आज वादा है खुद का खुद से....
मिलेंगे एक बार ऐसे भी कि हम अजनबी न रहें..


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खास हूँ मै सिर्फ तेरे लिए काफी है..,
अनजान हूँ किसी भीड़ में तो क्या हुआ..


++++++++++++++

घर बनाने में वक़्त लगता है
पर मिटाने में पल नहीं लगता
दोस्ती बड़ी मुश्किल से बनती हैं
पर दुश्मनी में वक़्त नहीं लगता
गुज़र जाती है उम्र रिश्ते बनाने में
पर बिगड़ने में वक़्त नहीं लगता
जो कमाता है महीनों में आदमी
उसे गंवाने में वक़्त नहीं लगता
पल पल कर उम्र पाती है ज़िंदगी
पर मिट जाने में वक़्त नहीं लगता
जो उड़ते हैं अहम के आसमानों में
जमीं पर आने में वक़्त नहीं लगता
हर तरह का वक़्त आता है ज़िंदगी में
वक़्त के गुज़रने में वक़्त नहीं लगता...


+++++++++++++++

है दफन मुझमें मेरी कितनी रौनकें मत पुछ ऐ दोस्त...,
उजड़-उजड़ कर जो बसता रहा वो शहर हूँ मै...


+++++++++++

ख़बर सुनकर मेरे मरने की वो बोली रक़ीबों से.....
ख़ुदा बख़्शे!! बहुत सी ख़ूबियां थी मरने वाले में.


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हजारो टूटते हुए दिलों का गवाह हूँ,....
तभी लिखने को इतना बेतरतीब और मोहब्बत से बेपरवाह हूँ...


+++++++++++

ख्वाहिश तो बहुत थी मिलने की पर कभी कोशिश नही की......
सोचा की जब खुदा माना है तुझको तो बिन देखे ही पुजेँगे.....


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झूठ बोलने का रियाज करता हु, सुबह और शाम मै....
सच बोलने की अदा ने हमसे कई अजीज छीन लिए...


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तुझ तक पहुंचा दे वो राह नहीं मिलती....
हमने हर इक मोड़ से पूछा,तेरा पता.


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वो एक रात जला तो उसे चिराग कह दिया...
हम बरसों से जल रहे हैं कोई खिताब तो दो....


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अज़ब हैं रिवायत दुनिया की ,"पंख काट कर कहते है".....
भर लो उड़ान, "सारा नभ तुम्हारा हैं"...


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खुली आँखों से सारी उम्र देखा.....
एक ऐसा खव्वाब जो मेरा नहीं था.....
आज तक वो शक्स दिल में हे.....
जो उस वक़्त भी मेरा नहीं था.....


++++++++++++


सकूं का एक लम्हा भी नही है नसीब मे....
अगर महोब्बत को सुलाओ, तो यादें जाग जाती है...


+++++++++++

मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो.....
वरना जिन्दगी रुलाने के मौके तलाश लेगी..


+++++++++++++

अभी तो मोहब्बत में और नुकसान बाक़ी है....
तेरे कंधो पर मेरे आँसुओ के निशान बाक़ी है..


+++++++++++++

जितना चाहे रूला ले मुझको तूँ ऐ जिन्दगी...
हंसकर गुजार दूँगा तुझको, ये मेरी भी जिद्द है.


+++++++++++++++

मुझ से ज़रा दूर ही रहा करो.!.
आदतन मैं लोगो की
आदत बन जाता हूँ..!!..

उसने पूछा जनाब कैसे हो.?.
दोस्तों अब इस ख़ुशी का
हिसाब कैसे हो..!!..

+++++++++++++

अब मुझे भी ग़ालिब जैसा घुमान है,
उसके शहर में अपनी भी दर्द की दूकान है.!.

+++++++++++++++++

अश्क बन कर आँखों से बहते हैं,
बहती आँखों से उनका दीदार करते हैं.!.
माना की ज़िंदगी मे उन्हें पा नही सकते,
फिर भी हम उनसे बहुत प्यार करते हैं..!!..

💔💘💔💘💔💘💔

तुझे याद कर के ही दर्द को सकून मिल जाता है.!.
देख मेरे ज़ख्म-ए-दिल का इलाज़
कितना सस्ता है..!!..


​++++++++++++++++

कुछ इस तरह मैंने ज़िन्दगी को आसान कर लिया,
किसी से मांग ली माफ़ी, किसी को माफ़ कर दिया...


+++++++++++++++


लौट आता हूँ वापस घर की तरफ,
हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की
जीने के लिए काम करता हूँ
या काम करने के लिए जीता हूँ।

बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
“बङे हो कर क्या बनना है ?”
जवाब अब मिला है, – “फिर से बच्चा बनना है.


++++++++++
पूरी उम्र पूजते रहे लोग अपने हाथो सेबनाए पत्थर के खुदा को....
हमने खुदा के हाथो से बने एक इन्सान को चाहा तो गुनाह हो गया.

+++++++++++


कुछ लोग सिखाते है मुझे ...
मोहब्बत के
क़ायदे कानून.....
नही जानते वो ...इस गुनाह में हम
सज़ा-ए-मौत के मुज़रिम हैं..

++++++++++++++


मुझको क्या हक...
मैं किसी को मतलबी कहूँ....
मै खुद ही ख़ुदा को...
मुसीबत में याद करता हूँ..
++++++++++++++हमारा ज़िक्र छोड़ो, हम ऐसे लोग हैं कि जिन्हे....
नफ़रत कुछ नहीं करती, मोहब्बत मार देती है.

++++++++++++
तुमने ही तो सफर कराया था,
मुहब्बत की कस्ती पर मुझे......
अब यूं नजर मत फेर....
मुझे डूबते हुए भी देख..

++++++++++++++
उसने मुझसे पुछा की अब भी मुझसे
मोहब्बत करते हो...
मैंने कहा मोहब्बत
का तो पता नही...
मगर, मेरे दोस्त मुझे आज
भी तेरी कसम देकर अपने करवा लेते है...​


+++++++++++

बर्बाद वो अपने इश्क में मुझे कर के बोले..,
तुम वो नहीं जिसकी मुझे तलाश  थी.....


+++++++++++


वक्त सारी ज़िन्दगी में,
दो ही गुज़रे हैं कठिन...
एक तेरे आने से पहले, एक तेरे जाने के बाद..

========काश ये मोहब्बत ख्वाब सी होती...
बस आँख खुलती और किस्सा खत्म..

++++++++++


ख्वाबों के टूटने से, सपनो के टूटने तक...
वो दर्द बता जिंदगी जो हमने सहा ना हो..

++++++++++++++


अफ़सोस तो है तेरे बदल जाने का.....
तेरी बेवफ़ाई ने तो मुझे जीना सीखा दिया..
+++++++++++


हमारी जान कब वो ले गए, ये खबर
नहीं हमको....
और हम है
कि उनकी सलामती की दुआ
करते है..

+++++++++++++जीवन का सबसे बङा अपराध
किसी की आंखो मे आंसू
आपकी वजह से हो....
और जीवन की सबसे
बङी उपलब्धि किसी की आंखो मे
आंसू आपके लिये हो,.
+++++++++++वो किताबों मे दर्ज था ही नही.....,
जो सबक जिंदगी ने हमे दिया..

++++++++++++


किसी की मासूम हँसी के पीछे उसका दर्द तो महसूस कर,....
सुना है लोग अक्सर हँस हँस कर खुद को सजा देते है,.


+++++++


ना जाने क्या कहा था डूबने वाले ने समुन्द्र से......
की लहरें आज तक साहिल पर आ आ कर अपना सर पटकती है,..

++++++++++++++


आज वो बड़ी देर तक मुझे देखती रही..
ना जाने ऐसा क्यों लगा की वो अब मुझे छोड़ जायेगी...


++++++++++++


हमारी आवारगी मे कूछ हाथ तुम्हारा भी है,..
जब हमे तुम्हरी याद आती है तो हमे घर अच्छा नही लगता,,

++++++++++++++


तू एक बार मेरी निगाहोँ मेँ देख कर कह दे,
कि हम तेरे काबिल नही,
कसम तेरी चलती साँसोँ की
हम तुझे देखना तक छोड़ देंगे...,

​+++++++++++++

सारे फैसले खुदा के ...
फिर भी गलती इंसान
की ..........

+++++++++++++++​अक्सर पूछते है लोग किसके लिए लिखते हो....
और मै कहता हू "काश" कोई होता..,

++++++++++++मेरी पागल सी मोहब्बत तुम्हें बहुत याद
आयेगी...,
जब हँसाने वाले कम और रुलाने तुम्हें वाले
ज़्यादा मिलेंगे,..
+++++++++++तुझे मोहब्बत कहाँ थी, बस
दिल्लगी थी ....
वरना मेरा पल भर
का बिछङना तेरे लिए भी कयामत होता ..

+++++++++++++++आसमान पे ठिकाने किसी के लिए
नहीं होते..,..
वो कहीं के नहीं होते
जो ज़मीन पे नहीं होते..

++++++++++++++हमने भी कभी "चाहा" था एकऐसे
शक्स को......
जो आइने से भी "नाजूक" था मगर था "पत्थर"
का...,
++++++++++++तू बहते पानी सी है, हर शक्ल में ढल जाती है....
मैं रेत सा हूँ, मुझसे कच्चे घर भी नहीं बनते...

+++++++++++ज़ख़्म दे कर ना पुछा करो, दर्द की शिद्दत....
"दर्द तो दर्द" होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या.

++++++++++++अपनी ईन नशीली निगाहों को, जरा झुका दीजिए जनाब...
मेरे मजहब में नशा हराम है.
++++++++++++न दर्द हुआ सीने में, न माथे पर शिकन आई....
इस बार जब दिल टूटा तो बस मुस्कान आई..

++++++++++++++तेरा रहूँगा मैं जिन्दगी भर....
तुम बस खुद में मुझ को जिन्दा रखना.

++++++++++++फितरत, सोच और हालात में फर्क है, वरना,
इन्सान कैसा भी हो दिल का बुरा नही होता...

++++++++++++अहिस्ता अहिस्ता वक़्त सरकता चला जाता है.....
कुछ यादें भी नहीं सँजो पाते और जाने का वक़्त आ जाता है..

++++++++++++++हाथ पर हाथ रखा उसने तो मालूम हुआ....
अनकही बात को किस तरह सुना जाता है..

+++++++++++तेरे वजूद में मै काश यूं उतर जाऊ...,
तू देखे आइना और मै, तुझे नज़र आऊ.

+++++++++++टूटे हुये दिलो की दुआयें मेरे साथ है....
क्या हुआ जो दुनियाँ है तेरी तरफ़, खुदा तो मेरे साथ है..

=+++++++++++तेरी याद में हम रोते हैं मगर सलीके से...
न कभी दामन भीगता है न कभी आँखें....

+++++++++++++++
किस तरह बनाएँ तुम्हारी यादों से दूरियाँ.!.
कदम, दो कदम जाकर
सौ कदम लौट आते है..!!..
++++++++++++++++++++++++++++++
उसने महबूब ही तो बदला है,
फिर ताज्जुब कैसा.?.
दुआ कबूल ना हो तो लोग,
खुदा बदल लेते है..!!..
++++++++++++++++++++++++++++++
हमारी चर्चा छोडो, दोस्तों.!.
हम ऐसे लोग है जिन्हें...
नफरत कुछ नहीं कहती,
और मोहब्बत मार डालती है..!!..
++++++++++++++++++++++++++++++
यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझको.!.
खुशी है कि तुम
उम्मीद पर खरे उतरे..!!..
++++++++++++++++++++++++++++++
सुलग रही है अगरबत्तियां सी मुझ में.!.
तुम्हारी याद ने महका भी दिया,
जला भी दिया..!!..
++++++++++++++
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
तू ख़ुदा है न मेरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नशा बड़ता है शरबें जो शराबों में मिलें
आज हम दार पे खेंचे गये जिन बातों पर
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
अब न वो मैं हूँ न तु है न वो माज़ी है “फ़राज़”
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें
+++++++++++++
💕💕💕💕💕💕💕💕
"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।"
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तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!!
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हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है..
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ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"
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मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...
पत्थरों को मनाने में,
फूलों का क़त्ल कर आए हम।
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गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ....
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जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकिएक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
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एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!
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सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
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सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |
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जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..
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एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..
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कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
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लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..
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"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..
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चाहता तो हु की ये दुनियाबदल दू ....
पर दो वक़्त की रोटी केजुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
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युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे .
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'
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अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
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"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'..
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" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाताऔर दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
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किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,
'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर.
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हमारे इश्क का अंदाज कुछ अजीब सा था.!.
लोग इन्सान देखकर मोहब्बत करते है,
हमनें मोहब्बत करके इन्सान देख लिया..!!..
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काश! मैं पलट जाऊँ बचपन की वादी में.!.
ना कोई ज़रूरत थी,
ना कोई ज़रूरी था..!!..
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खामोश हूँ मगर चेहरो की शिकन से वाकिफ हूँ.!.
क्या हो रहा है,
जमाने के चलन से वाकिफ हूँ..!!..
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काँटों से गुजरना तो बड़ी बात है.!.
लेकिन,
फूलों पर चलना भी आसान नही है..!!..
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किस कदर ख़ुदगर्ज कर दिया तेरे इन्तजार ने मुझे.!.
कि मैँ अपने टूटे दिल की सजा
हर रात अपनी आंखोँ को देता हूँ.
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अकड़ती जा रही हैं,
रोज़ गर्दन की रगें आलम.!.
हमें ए काश! आ जाए हुनर भी सर झुकाने का..!!..
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समय बहाकर ले जाता है नाम और निशाँ.!.
लेकिन कोई हम में रह जाता है
किसी में हम..!!..
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ज़ख्म जब मेरे सीने के भर जाएंगे,
आंसू भी मोती बन के बिखर जाएंगे.!.
ये मत पूछना किसने दर्द दिया,
वरना कुछ अपनों के सर झुक जाएंगे..!!..
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हिचकियों को न भेजो अपना मुख़बिर बना के.!.
हमें और भी काम हैं
तुम्हें याद करने के सिवा..!!..
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लोगों में और हम में बस इतना फर्क है.!.
कि लोग दिल को दर्द देते हैं
और हम दर्द देने वाले को दिल देते हैं..!!

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