Tuesday, 30 December 2014

प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो.....

हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हमने देखी है ....

प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं
एक ख़ामोशी है सुनती है कहा करती है
न ये बुझती है न रुकती है न ठहरी है कहीं
नूर की बूँद है सदियों से बहा करती है

सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हमने देखी है ...

मुस्कुराहट सी खिली रहती है आँखों में कहीं
और पलकों पे उजाले से झुके रहते हैं
होंठ कुछ कहते नहीं, काँपते होंठों पे मगर
कितने ख़ामोश से अफ़साने रुके रहते हैं

सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
हमने देखी है....

No comments:

Post a Comment